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एक दिन में 2 शतक जड़ने वाला क्रिकेट का वो जादूगर जिसने अंग्रेजों की आंखें खोल दी

एक ऐसा शख्स भी हुआ जिसने 127 साल पहले ही एक दिन में 2 शतक जड़कर इतिहास रच दिया था. जिसे क्रिकेट के जादूगर के नाम से जाना गया. वो नाम था रणजीत सिंह विभागी जडेजा. 22 अगस्त 1896 को उन्होंने दोहरा शतक जड़कर अंग्रेजों को चौंका दिया.

इंग्लैंड के होव में ससेक्स की तरफ से खेलते हुए उन्होंने यॉर्कशायर की टीम को जवाब दिया. वह ससेक्स के एक मैच में दो शतक जड़ने वाले वाले तीसरे बल्लेबाज थे. उनके बाद फर्स्ट क्लास क्रिकेट में कोई बल्लेबाज ऐसा नहीं कर पाया.

रणजीत सिंह ने भारतीय क्रिकेट के विकास में अहम भूमिका निभाई. इनके नाम पर ट्रॉफी का नाम रणजीत ट्रॉफी रखा गया, भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल होने लिए ट्रॉफी को जीतना अनिवार्य बना.

16 साल की उम्र में इंग्लैंड पहुंचे

आजादी से पहले क्रिकेट कभी अंग्रेजों, महाराजाओं और नवाबों का खेल हुआ करता था. जामनगर के महाराजा रणजीत ने भारत में रहते हुए क्रिकेट की बारीकियां सीखीं. 16 साल की उम्र में वो हायर स्टडी के लिए इंग्लैंड पहुंचे. क्रिकेट के जनक माने जाने वाले डब्ल्यूजी ग्रेस भी रणजीत सिंह की बल्लेबाजी के कायल थे.

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काबिलियत ऐसी कि अंग्रेजों ने भी माना लोहा

उन्हें कलाई का जादूगर भी कहा जाता है. उन्हें कई तरह से स्ट्रोक खेलने में महारथ हासिल थी. अपनी इसी खूबी के दम पर वो ऑन साइड रन बटोरने में माहिर थे. यही वजह रही कि इंग्लैंड को उन्हें अपनी टीम में लेना पड़ा. अंग्रेजों ने भी उनकी काबिलियत का लोहा माना. हालांकि, जब उन्हें इंग्लैंड की टीम में शामिल किया गया तो विवाद पैदा हो गया.

लॉड हैरिस का कहना था कि रणजीत सिंह का जन्म भारत में हुआ है, इसलिए इंग्लैंड टीम में उन्हें शामिल नहीं किया जाना चाहिए. लेकिन रणजीत के कौशल के सामने विवाद टिक नहीं पाया.

बीमार थे पर फील्ड में डटे रहे

उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला टेस्ट मैच 1896 में खेला और पहली ही पारी में 62 रन और दूसरी पारी में नाबाद 154 रन की पारी खेलकर चर्चा में आ गए. इसके साथ वो ऐसे खिलाड़ी बन गए जो पहले टेस्ट मैच में 50 और सेंचुरी जड़ी. वो टेस्ट क्रिकेट के पहले बल्लेबाज थे जो

पहले टेस्ट में सेंचुरी जड़कर नाबाद रहे.

उन्होंने साल 1897 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में खेले गए पहले टेस्ट मैच में इतिहास रचा था. 7वें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 175 रन बनाए थे. टेस्ट मैच से पहले बीमार होने के बावजूद इंग्लैंड की टीम उन्हें हर हाल में प्लेइंग इलेवन में देखना चाहती थी. बीमारी के बावजूद वो मैच में शामिल हुए. मैच के दौरान कमजोर थे और खेल के समय डाॅक्टर उनका इलाज कर रहे थे.

307 मैचों में 72 सेंचुरी

उन्होंने 15 टेस्ट मैच में 44.95 के औसत से 989 रन बनाए. वहीं, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 307 मैचों में 24,092 रन बनाकर इतिहास रचा. इसमें 72 सेंचुरी और 109 फिफ्टी थी. क्रिकेट की दुनिया में इतिहास रचने वाले रणजीत सिंह का निधन 60 साल की उम्र में 2 अप्रैल 1933 में गुजरात के जामनगर में हुआ.

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