नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) भारत के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं. वे अपने नजरिये को बड़ी बेबाकी से लोगों के सामने रखते हैं. उन्होंने अपने निर्देशन में बनी फिल्म ‘मैन वुमन मैन वुमन’ के प्रचार के दौरान कहा कि उन्हें यह बात परेशान करती है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्में आज बहुत पॉपुलर हैं.
नसीरुद्दीन शाह ने फ्री प्रेस जर्नल से बातचीत में यह बात कही. उनसे जब पूछा गया कि क्या बॉलीवुड में फिल्ममेकिंग का मकसद बदल गया है, तो वे बोले, ‘हां, आप जितने ज्यादा अंधराष्ट्रवादी होंगे, उतने ही पॉपुलर हो जाएंगे, क्योंकि यही देश को चला रहे हैं.’
नसीरुद्दीन शाह ने आगे कहा, ‘अपने देश को प्यार करना अब काफी नहीं है. आपको शोर करके बताना होगा और काल्पनिक दुश्मन भी क्रिएट करना होगा. इन लोगों को दिखाई नहीं देता कि वे जो कर रहे हैं, वह काफी नुकसानदेह है. दरअसल, ‘द केरल स्टोरी’ और ‘गदर 2’ जैसी फिल्में, जिन्हें मैंने देखा नहीं है, लेकिन जानता हूं कि ये किस बारे में हैं. यह बात कचोटती है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्में बहुत मशहूर हैं, जबकि सुधीर मिश्रा, अनुभव सिन्हा और हंसल मेहता द्वारा बनाई गई फिल्में, जो सच दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें कोई देखता नहीं है. जरूरी बात यह है कि ये फिल्मकार निराश नहीं होते और सच्ची कहानियां कहते रहते हैं.’
नसीरुद्दीन शाह बात जारी रखते हुए कहते हैं, ‘सौ साल बाद, लोग ‘भीड़’ और ‘गदर 2′ देखेंगे और जानेंगे कि कौन सी फिल्म हमारे समय की सच्चाई को बयां करती है, क्योंकि फिल्में ही ऐसा माध्यम हैं जो ऐसा कर सकती हैं.’
फिल्म ‘मैन वुमन मैन वुमन’ नसीरुद्दीन शाह की बतौर डायरेक्टर दूसरी फिल्म है. उन्होंने इससे पहले इरफान खान स्टारर फिल्म ‘यूं होता तो क्या होता’ बनाई थी. जब नसीरुद्दीन से पूछा गया कि उन्होंने 17 साल बाद निर्देशन में वापसी क्यों की, तो वे बोले, ‘मैं खराब फिल्म बनाने के सदमे से उबरने की कोशिश कर रहा था. यह वैसी नहीं बनी, जैसा मैंने सोचा था. मैं उस वक्त तकनीकी रूप से सक्षम नहीं था. मैं उस वक्त सिर्फ इतना सोचा कि अगर मैं बेहतरीन एक्टर्स को लेता हूं, तो काम बन जाएगा.’
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